Allama Iqbal Shayari

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Allama Iqbal Shayari
Allama Iqbal Shayari

तेरे सझ्दे कहीं तुझे काफ़िर ना कर दे ऐ इकबाल
तो झुकता कहीं और है सोचता कहीं और है

जानते हो तुम भी फिर भी अजनान बनते हो
इस तरह हमें परेशान करते हो
पूछते हो तुम्हे किया पसंद है
जवाब खुद हो फिर भी सवाल करते हो

Allama Iqbal Shayari photo
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मत पूछ के हम मोहब्बत कि किस रह से गुज़रे है
ये देख के तुझ पर कोई इलज़ाम ना आने दिया

बात सझ्दों कि नहीं खुलूस दिल कि होती है इकबाल
हर मयखाने में सराबी और हर मस्जिद में कोई नमाजी नहीं होता

जफा जो इश्क में होती है वो जफा ही नहीं
सितम ना हो तो मोहब्बत में कुछ मज़ा ही नहीं

Allama Iqbal Shayari image
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तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ

आह जो दिल से निकली जाये गी
किया समझते हो खली जाये गी


हम वक़्त गुज़ारने वाले नहीं रौनक महेफिल में
ज़िन्दगी भर याद करोगे के ज़िन्दगी में आया था कोई

Allama Iqbal Shayari Sher
Allama Iqbal Shayari Sher

देख कैसी क़यामत सी बरपा हुई है आशियानों पर इक़बाल
जो लहू से तामीर हुए थे पानी से बह गए

अमल से ज़िन्दगी बनती है , जन्नत भी जहनुम भी
यह कहा की अपनी फितरत में न नूरी है न नारी है


इक़रार .ऐ.मुहब्बत ऐहदे.ऐ.वफ़ा सब झूठी सच्ची बातें हैं .इक़बाल.
हर शख्स खुदी की मस्ती में बस अपने खातिर जीता है

तुम से गिला किया ना ज़माने से कुछ कहा
बर्बाद हु गये बड़ी साग्दी से हम

Allama Iqbal gajal
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जिन का मिलना नसीब में नहीं होता
उनकी मोहब्बत कमाल कि होती है

सब कुछ हासील नहीं होता ज़िन्दगी में यहाँ
किसी का कास तो किसी की आह रहे जाती है


इश्क़ क़ातिल से भी मक़तूल से हमदर्दी भी
यह बता किस से मुहब्बत की जज़ा मांगेगा
सजदा ख़ालिक़ को भी इबलीस से याराना भी
हसर में किस से अक़ीदत का सिला मांगेगा

Allama Iqbal in hindi
Allama Iqbal in hindi

ज़रूरी तो नहीं मोहब्बत लाफ्ज़ुं में बयाँ हु
किया सच मेरी आँखें तुम्हे कुछ नही कहेती

मत तरसा इतना किसी को अपनी मोहब्बत के लिए
किया पता तेरी महोब्बत पाने के लिए जी रहा हो कोई

मुलाकातें नहीं मुमकिन हमें अहेसास है लेकिन
तुम्हे हम याद करते है बस इनता याद रखना तुम

Allama Iqbal poerty
Allama Iqbal poerty

हम जब निभाते है तो इस तरह निभाते है
सांस लेना तो छोड़ सकते है पर दमन यार नहीं


ढूंढता रहता हूं ऐ .इकबाल. अपने आप को.
आप ही गोया मुसाफिर आप ही मंजिल हूं मैं

खुदा के बन्दे तो हैं हजारों बनो में फिरते हैं मारे-मारे
मैं उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा